डेस्क: केरल के कोल्लम में रहने वाले राज मोहन नायर को करंट मोहन के नाम से भी जाना जाता है।
दरअसल उन्हें यह नाम इसलिए मिला क्योंकि वह हाई वोल्टेज के करंट को अपने शरीर में दौड़ाते हैं लेकिन उन पर बिजली का कोई असर नहीं होता.
उनका कहना है कि उन्हें अपने इस शक्ति के बारे में 7 साल की उम्र में पता चला था. जब वे 7 साल के थे तब उनकी मां का देहांत हो गया था.
इसके बाद वे डिप्रेस्ड रहने लगे आखिरकार डिप्रेशन के मारे उन्होंने आत्महत्या करने की ठानी और आत्महत्या करने के लिए उन्होंने बहुत अनूठा प्लान बनाया.
उन्होंने मोहल्ले के ट्रांसफार्मर में चढ़कर बिजली के तारों को छूकर जान देने की सोची लेकिन ऐसा करने पर भी उनका बाल तक बांका नहीं हुआ. तब उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि ईश्वर ने उन्हें एक खास शक्ति देकर भेजी है.
ऐसा कहा जाता है कि उनका शरीर हाई वोल्टेज इलेक्ट्रिसिटी से इम्यून हो गया है. वे आसानी से कई एंपियर के इलेक्ट्रिसिटी को अपने शरीर से Pass करवा सकते हैं. इसका उन पर कोई असर नहीं होता.
आपको बता दें कि केवल 0.25 एंपियर की करंट ही किसी आम आदमी के चमड़े तक को जलाने में सक्षम है.
डॉक्टरों की माने तो अगर ज्यादा एंपियर में बिजली किसी के शरीर में दौड़ा दी जाए तो पलक झपकते ही किसी भी आम आदमी को परमानेंट मसल डैमेज का सामना करना पड़ सकता है. यहां तक की उसकी दिल की धड़कन भी रुक सकती है.
लेकिन करंट मोहन बड़े ही आसानी से कई एंपियर करंट झेल जाते हैं. करंट मोहन बिजली के तारों को अपने शरीर के चारों तरफ लपेटकर मेन सप्लाई को ऑन कर देते हैं जिससे उनके शरीर में हाई वोल्टेज करंट दौड़ने लगती है.
इस करंट का उन पर कोई असर नहीं होता. यहां तक कि कई बिजली के उपकरणों को भी वह अपने शरीर के मदद से ही चलाकर अपने शक्ति का प्रमाण देते हैं.
उन्हें बिना कुछ नुकसान पहुंचाए उनके शरीर से बिजली बहुत ही आसानी से पार हो जाती है इसीलिए उन्हें ह्यूमन कंडक्टर का भी नाम दिया गया है.
हालांकि जब वह हाई वोल्टेज करंट अपने शरीर से pass करते हैं तब उनकी आंखें चमकने लगती है और कुछ पल के लिए वे अंधे हो जाते हैं. लेकिन कुछ ही देर में वह वापस नॉर्मल भी हो जाते हैं.
टेस्ट करने पर पता चला कि उनका शरीर का resistance किसी आम आदमी से 10 गुना अधिक है. वाकई में करंट मोहन एक ह्यूमन कंडक्टर हैं.
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