सोहिनी बिस्वास: एक तरफ जहां वर्तमान दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से परेशान है, वहीं दूसरी तरफ प्लास्टिक परिवेश को दूषित करने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है। हालांकि पूरी दुनिया की जनता अब इसको लेकर सजग हो चुकी है। फिर भी प्लास्टिक एक ऐसी चीज है जिसके बिना दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली किसी भी वस्तु का कल्पना करना भी असंभव है।
जहां पूरी दुनिया प्लास्टिक के कचड़े को कम करके कैसे उपयोग में लाया जाये यह सोचने में व्यस्त है, वहीं भारत के त्रिपुरा में प्लास्टिक वर्ज्य के उपयोग का बेहतरीन उदाहरण सामने आया है। हम अपने पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त कैसे बना सकते हैं और सार्वजनिक कल्याण परियोजनाओं में प्लास्टिक कचरे का उपयोग कैसे कर सकते हैं, इसकी एक सुंदर पहल त्रिपुरा में देखने को मिली है।
त्रिपुरा में, बेकार प्लास्टिक को एकत्र किया गया और पुनर्नवीनीकरण किया गया। इसका उपयोग बीके रोड के पास महिला कॉलेज के सामने 680 मीटर लंबी सड़क के निर्माण में किया गया। सड़क का निर्माण कोलतार के साथ अपशिष्ट प्लास्टिक को मिलाकर किया गया है जिसकी लागत लगभग 70 लाख रुपये बताई रही है। इसे एक परीक्षण कहा जा सकता है और आने वाले दिनों में उत्पन्न प्लास्टिक के कचरे के पुन: उपयोग के लिए यह एक अच्छा विकल्प बन सकता है।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा कि त्रिपुरा में पहली पहल में, राज्य ने प्लास्टिक कचरे को कम करने और पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त बनाने के उद्देश्य से सड़कों के निर्माण में गैर-पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक कचरे का उपयोग करना शुरू कर दिया है।
आमतौर पर, प्लास्टिक हमारे रोजमर्रा के जीवन में बहुत ज्यादा उपयोग है। लेकिन यह पर्यावरण की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है। विश्व स्तर पर, वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों ने असहनीय प्लास्टिक प्रदूषण पर तंज कसा है।
आपको बता दें कि केवल अगरतला नगर निगम लगभग प्रतिदिन 19 टन प्लास्टिक उत्पन्न करता है। तो पूरी दुनिया में उत्पन्न होने वाले कचड़े का आंकड़ा कितना अधिक होगा, यह विचार करने वाली बात है। इस तरह की पहल प्लास्टिक कचरे के बेहतर प्रबंधन कारगर साबित होगी। यह विशेष रूप से बरसात के क्षेत्रों में प्रयोग किया जा रहा है जहां जलभराव आम है।