डेस्क: अटल बिहारी वाजपेई से जुड़ी रोचक कहानी की सीरीज में आज जो कहानी आपको सुनाने जा रहे हैं वह कहानी कोई सियासी कहानी नहीं है। यह कहानी कवि हृदय वाले अटल बिहारी वाजपेई की प्रेम कहानी है। आज हम उनकी मोहब्बत की दास्तां लेकर आए हैं। यह वह कहानी है, जिस पर कभी भी बहुत ज्यादा बात नहीं हुई।
एक शानदार नेता के तौर पर वाजपेयी जी के ढेरों किस्से आपने सुने होंगे, जानते हैं, लेकिन हम आज एक आदर्श प्रेम की कहानी सुनाने जा रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी शादी नहीं की, लेकिन जीवन के हर हिस्से को उन्होंने प्रेम की चाशनी में डुबो कर जिया।
उनके प्रेम का अंजाम शादी में भले ही ना बदला हो, लेकिन उन्होंने प्रेम के दामन को कभी नहीं छोड़ा। अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल के प्रेम संबंध के बारे में सियासी फिजा में बहुत सारी किस्से चले। ब्यूरोक्रेसी में भी चर्चे रहे। यह अलग बात रही कि वाजपेई जी के कद के चलते कोई भी सार्वजनिक तौर पर इस पर चर्चा नहीं करना चाहता था। इससे बचता था।
इस कहानी को वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने भारतीय भारत की प्रेम कहानियों में सबसे सुंदर प्रेम कहानी बताया था। वाजपेयी जी के निधन के बाद एक चर्चित अखबार ने विस्तार से उनकी प्रेम कहानी को लिखा था।
अटल जी के जीवन की डोर थी राजकुमारी कौल
अटल जी के जीवन की डोर थी राजकुमारी कौल। उनके घर की महत्वपूर्ण सदस्य और सबसे अच्छी दोस्त थी । इस संबंध को लेकर दक्षिण भारत के एक चर्चित पत्रकार ने कहा था कि जब प्रधानमंत्री अटल जी प्रधानमंत्री नहीं थे तो उनके घर पर राजकुमारी कौल ही फोन उठाती थी और कहती थी मैं मिसेज कॉल बोल रही हूं आप कौन?
राजकुमारी कौल की मौत के बाद टेलीग्राफ अखबार में कुलदीप नैयर ने विस्तार से लिखा था कि थोड़ी संकोची मिजाज की राजकुमारी कौल ने जिस तरह से अटल जी की सेवा की, कोई नहीं कर सकता था। राजकुमारी कौल अपने पति के साथ अटल जी के घर में रहती थीं। 80 के दशक में महिला पत्रकार को इंटरव्यू में कौल ने बताया कि इन रिश्तो को लेकर मुझे अपने पति को कभी भी कोई सफाई नहीं देनी पड़ी।
ग्वालियर के कॉलेज में हुआ प्यार
40 के दशक में ग्वालियर के एक ही कॉलेज में दोनों एक साथ पढ़ते थे। यह वही वक्त था, जब लड़के और लड़की की दोस्ती को अच्छे नजरों से नहीं देखा जाता। लोगों की नजरों में ऐसी दोस्ती अच्छी बात नहीं थी। दुनिया के बातों से अनजान बाजपेई जी अपनी दोस्त कौल से ढेर सारी बातें किया करते थे। कॉलेज में क्लास के बाद खाली वक्त में दोनों खूब बातें किया करते थे। यह बातचीत गहरी दोस्ती में बदल गई और 1 दिन प्रेम में बदल गया। युवा बाजपेई ने पुस्तकालय के अंदर राजकुमारी के लिए एक प्रेम पत्र लिखा, लेकिन अफसोस उसका कोई जवाब नहीं मिला। बाद में उनके दोस्तों ने बताया कि जवाब तो राजकुमारी ने लिखा था, लेकिन उन तक नहीं पहुंच पाया।
वक़्त को कुछ और मंजूर था
समय बहुत तेजी से बदल रहा था। वाजपेयी जी राजनीति के अंदर घुसते जा रहे थे। दूसरी तरफ कौल के सरकारी पिता उनके हाथ पीले करने के लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिये। एक दिन राजकुमारी की शादी एक युवा प्रोफेसर से हो गई। घर में घोर विरोध के बाद राजकुमारी कौल चाह कर भी वाजपेयी से शादी नहीं कर पायी। दरअसल कौल के घर वाले अटल को योग्य लड़का मानने को तैयार नहीं थे। इस शादी के बाद वाजपेयी ने कभी विवाह नहीं किया। दोनों की मुलाकातें बंद हो गयीं।
राजकुमारी की डेढ़ दशक बाद हुई फिर मुलाकात
राजकुमारी कौल ने दिल्ली को अलविदा कह दिया, लेकिन डेढ़ दशक बाद फिर से दोनों की मुलाकात हुई, तब तक वाजपेई जी सांसद बन चुके थे। वाजपेयी राजनीति और पार्टी से प्रेम करने लगे थे। वाजपेयी जी अपनी मंजिल की ओर बढ़ने लगे। राजकुमारी कौल वापस दिल्ली आ गई। उनका पति रामजस कॉलेज में फिलासफी के प्रोफेसर थे और वह उसी कॉलेज के पास हॉस्टल में वार्डन बन गई थी।
डेढ़ दशक बाद सारा सामान उठाकर वाजपेयी के सरकारी निवास पर साथ रहने आ गई राजकुमारी
उनके दिल्ली आते ही फिर से दोनों की मुलाकात शुरू हो गई। फिर 1 दिन कौल अपना सारा सामान उठाकर वाजपेयी के सरकारी निवास पर आ गई। इस रिश्ते को दोनों ने कभी मीडिया का विषय बनने नहीं दिया। अलग बात है कि जनसंघ में इसे लेकर बहुत विरोध हुआ। राजकुमारी कौल के अंतिम दिनों में वाजपेयी जी कई बीमारियों से घिर गए थे । इस कहानी का भले ही अंत अच्छा ना रहा। प्यार में कहते हैं ना जिस कहानी को मंजिल तक पहुंचा न पाए, उसे किसी हसीन मोड़ पर छोड़ देना चाहिए । अटल जी की मोहब्बत की दास्तान भी कुछ ऐसी ही थी।