National

सोल्लास मनाई गयी श्री जगदीश नारायण ब्रह्मचारीजी महाराज की त्रयोदशतमी पुण्यतिथि

डेस्क: “श्रीजगदीशवेदोद्यानसौरभम्” इस नाम से संगठित एक समूह द्वारा श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के तत्त्वावधान में विश्वविद्यालयीय भव्य प्रांगण में बिहारप्रान्तस्थ दरभंगा जिलान्तर्गत तारडीह प्रखण्ड के लगमा ग्राम में जगदीश नारायण-ब्रह्मचर्याश्रम एवं उसी नाम से अन्य चार शिक्षण संस्थाओं के संस्थापक साकेतवासी परमपूज्य श्री श्री १०८ महर्षि श्री ब्रह्मचारीजी महाराज की तेरहवीं पुण्यतिथि विक्रम संवत् २०८०, पौष कृष्ण चतुर्थी तदनुसार दिनांक- ३०-१२-२०२३ ई०, शनिवार को धूमधाम से मनाई गई।

कार्यक्रम का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के छात्रावासीय प्राङ्गण में प्रातः १० बजे से यज्ञाचार्य पं.श्रीउदयनाथझा के निर्देशन में सुन्दरकाण्ड एवं १२ बजे से विद्यावाचस्पति प्रो० सुन्दर नारायण झा के निर्देशन में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्वेवेद चारों वेदों के सस्वर पारायणपाठ के साथ हुआ। तत्पश्चात् दिल्ली एवं निकटस्थ अनेक वेदविद्यालयों से पधारे वेदपाठी वटुकों के मध्य वास्तुशास्त्रविभागाध्यक्ष एवं छात्रावास प्रबंधसमिति के अध्यक्ष प्रो0 देवी प्रसाद त्रिपाठी की अध्यक्षता में वेदमन्त्रान्त्याक्षरी प्रतियोगिता २ बजे से आरम्भ हुई।

Trayodashtami death anniversary at Shrilal Bahadur Shastri National Sanskrit University

वेदमन्त्रान्त्याक्षरी प्रतियोगिता में निर्णायक वेदविभागाध्यक्ष प्रो० देवेंद्र प्रसाद मिश्र, डा० ओङ्कार यशवन्त सेलूकर थे। प्रतियोगिता में ३५ वेदपाठियों ने सोत्साह भाग लिया। प्रतियोगिता का अनुपम दृश्य इतना मनोरम था, मानो स्वर्ग से समस्त देवगण विश्वविद्यालय् प्राङ्गण में पधारे हैं वैसा ही आनन्ददायक था। प्रतियोगिता में श्रीनिवास संस्कृत विद्यापीठ गुरुकुल इब्राहिमपुर के छात्र श्रीरुद्र, आदित्य,स्वामी राघवानंद सरस्वती गुरुकुल के छात्र श्री दक्ष एवं आदित्य नारायण पचौरी चारों छात्रों ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। अन्य सभी प्रत्तिस्पर्धि प्रोत्साहन पुरस्कार हेतु घोषित हुए।

शिष्यों ने व्यक्त किया अपना-अपना उद्गार

प्रतियोगिता समाप्त होने पर महाराजजी के शिष्यों ने अपना-अपना उद्गार व्यक्त किया। जिसमें पं.श्रीरामाकान्त झा, एल-आइ-सी-कार्यालय में प्रसिद्ध कार्यकर्ता श्रीविद्याशङ्करझा, संस्कृत अध्यापक श्री सरस्वती नारायण झा आदि लोगों ने अपने हृदय की बात प्रकट की। तदनन्तर मुख्य समारोह ४:३० बजे से आरम्भ हुआ जिसकी अध्यक्षता श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय के माननीय एवं यशस्वी कुलपति महामहोपाध्यायादि विरुदावलियों से विभूषित प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने की।

विशिष्टातिथि के रूप में भारतीय राजस्व सेवा में उच्च पदाधिकारी पद से सेवानिवृत्त एवं विविध सरकारी संस्थाओं के निदेशक श्री प्रकाश चंद्र झा, भारतीय पुलिस सेवा, आइ. जी. दिल्ली, डा. परेश सक्सेना, इस विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय से सेवानिवृत्त आचार्य प्रो. नागेन्द्र झा तथा सारस्वतातिथि के रूपमें प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी आदि प्रमुख विद्वज्जन उपस्थित थे।

दीपप्रज्वालन, गुरुपादुकापूजनपूर्वक वैदिक मङ्गलाचरण एवं पौराणिक मङ्गलाचरण के उपरान्त कार्यक्रम के संयोजक एवं सूत्रधार विद्यावाचस्पति प्रो० सुन्दर नारायण झा ने समस्त अतिथियों का वाचिक स्वागतपूर्वक महाराजजी द्वारा मिथिला में वेदके प्रचार-प्रसार में बहुमूल्य योगदान पर प्रकाश डालते हुए विषयप्रवर्तन किया। तत्पश्चात् अतिथियों का उद्बोधन हुआ। प्राच्यविद्या के प्रचार-प्रसार हेतु माहाराजजी द्वारा किये गये प्रयत्नों को स्मरण करते हुए परमेशावतार परमहंसस्वरूप ब्रह्मचारीजी की कीर्तिकौमुदी का सबों ने मुक्त कण्ठ से गान किया।

प्रतिस्पर्द्धाओं में विजेता वटुकों को प्रमाणपत्र एवं पुरस्कार की राशि प्रदान करने के बाद अध्यक्षीय उद्बोधन हुआ| तत्पश्चात् संस्कृताध्यापक डॉ. कृष्णकान्तठाकुर ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। शान्तिपाठ के साथ शैक्षणिक कार्यक्रम का समापन होने के बाद सामूहिक भण्डाराप्रसादग्रहण के साथ यह भव्य कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button