‘सफेदपोश जिहादियों के बारे में आपने नहीं सुना तो बता दें कि ये गुमनाम रह कर हम आपके बीच रहते हैं और बड़ी आंतकी वारदातों को अंजाम दे देते हैं. इन्हें साइबर आतंकवादी भी कह सकते हैं. जम्मू-कश्मीर की पुलिस इन पर नकेल कस रही है. पुलिस की नजरों में वे ‘सबसे बुरे किस्म के आतंकवादी’ हैं जो गुमनाम रहते हैं, लेकिन वे युवाओं की सोच को प्रभावित कर बड़े नुकसान का कारण बनते हैं.
सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैला भड़का सकते हैं दंगा
जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और सुरक्षा प्रतिष्ठान के अधिकारियों द्वारा प्रदत्त आकलन के अनुसार, इस बात का डर है कि ये ‘सफेदपोश जिहादी’ सांप्रदायिक दंगे भड़का सकते हैं या सोशल मीडिया पर झूठी और गलत खबरों के जरिये कुछ युवाओं को प्रभावित कर सकते हैं.
हथियारों की जगह स्मार्टफोन ने ले लिया है
पुलिस अधिकारी के कहना है कि युद्ध का मैदान नया है जहां पारंपरिक हथियारों और संकरी गलियों और जंगलों के युद्ध क्षेत्रों का स्थान कंप्यूटर और स्मार्टफोन ने ले लिया है ताकि वे अपनी सुविधानुसार अपने घरों या सड़कों से कश्मीर या इससे बाहर कहीं से भी युद्ध छेड़ सकें.
जम्मू-कश्मीर से पांच हुए गिरफ्तार
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें ‘सफेदपोश जिहादी’ करार दिया, जो सोशल मीडिया पर झूठ बोलकर और अलगाववादियों या आतंकवादी समूहों के अनुकूल स्थिति को तोड़-मरोड़ कर युवाओं और आम जनता को गुमराह करते हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल में पांच संदिग्ध ‘सफेदपोश जिहादियों’ को गिरफ्तार किया है, जो देश की संप्रभुत्ता के बारे में झूठ फैलाने के अभियान में शामिल थे. पुलिस के अनुसार, उन्हें लोगों में डर पैदा करने के लिए सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रणनीतिक सूची तैयार करने का काम सौंपा गया था.
आतंकवादियों से ज्यादा घातक है साइबर आतंकी
डीजीपी सिंह ने कहा, ‘एक साइबर आतंकवादी वास्तव में एक वास्तविक आतंकवादी की तुलना में घातक होता है क्योंकि एक तो, वह छिपा हुआ है और दूसरा, वह बिल्कुल अज्ञात है और आप तब तक अज्ञात है जब तक कुछ बहुत ही विशिष्ट विवरणों में शामिल नहीं हो जाते.’ उन्होंने कहा, ‘‘उन प्रकार के विवरणों और डिजिटल दुनिया में वास्तव में उस विशेष पहचान का उपयोग कौन कर रहा है, का पता लगाना बहुत मुश्किल है. लोगों ने साइबर दुनिया में गुमनामी का फायदा उठाया है और इसीलिए वे इस तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं.’ सिंह साइबर आतंकवादियों पर रोक लगाने पर विशेष जोर दे रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे ‘‘सबसे बुरे प्रकार के आतंकवादी हैं और वे अज्ञात हैं, लेकिन वे युवाओं की सोच को प्रभावित करके बड़ा नुकसान पहुंचाते है.’