डेस्क: एक तरह केबीसी में अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट में बैठने की खुशी और दूसरी तरफ भारतीय रेलवे से मिले पनिशमेंट के बीच देशबंधु पांडे फंसे हुए हैं। राजस्थान के कोटा रेल मंडल के स्थानीय खरीद अनुभाग के कार्यालय में अधीक्षक के पद पर तैनात देशबंधु पांडे का सपना था कि वह केबीसी का हिस्सा बने। हाल ही में उनका यह सपना पूरा भी हुआ और उन्होंने ₹3,20,000 भी जीते।
लेकिन अपनी इस जीत की खुशी वह ज्यादा देर नहीं मना सके। जैसे ही वह मुंबई से राजस्थान वापस लौटे तो भारतीय रेलवे द्वारा उन्हें चार्जशीट थमा दिया गया। दरअसल, वह केबीसी में भाग लेने के लिए मुंबई जाने वाले थे जिसके लिए उन्होंने छुट्टी की अपील की थी लेकिन उनके ऊपर के अधिकारियों ने उनके छुट्टी की अपील पर कोई विचार ही नहीं किया।
सौंपा चार्जशीट और इंक्रीमेंट पर भी लगा रोक
केबीसी में शूटिंग का डेट नजदीक आ गया था और अधिकारियों द्वारा उनकी छुट्टी पर विचार नहीं किए जाने के कारण वह केबीसी का हिस्सा बनने मुंबई चले गए। वहां उन्होंने 10 प्रश्नों के सही जवाब देकर ₹3,20,000 जीते। लेकिन उनके इस जीत की खुशी ज्यादा देर तक नहीं रुकी। भारतीय रेलवे द्वारा चार्जशीट मिलने के कारण उनके चेहरे से जीत का रंग उड़ गया था। चार्जशीट के अलावा भारतीय रेलवे ने उनके 3 साल के इंक्रीमेंट पर भी रोक लगा दी है।
तनाव में है परिवार
भारतीय रेलवे द्वारा चार्जशीट सौंपी जाने के बाद देशबंधु पांडे बुरी तरह से डरे हुए हैं। साथ ही उनका परिवार भी तनाव में है। लेकिन इस विषय पर वह मीडिया से कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उन्हें इस बात का डर है कि मीडिया में कुछ भी बोलने पर भारतीय रेलवे प्रशासन से उन्हें और भी सजा मिल सकती है।
कर्मचारी संगठनों ने किया विरोध
देशबंधु पांडे के प्रति भारतीय रेलवे प्रशासन के इस कार्रवाई का कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया। वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के मंडल सचिव खालिद का कहना है कि पांडे के साथ रेल प्रशासन जो कर रही है वह सही नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि मजदूर संघ पांडे के लिए न्याय की लड़ाई लड़ेगा। संघ का कहना है कि केबीसी में भाग लेना ऐसा कोई कारण नहीं है जिसके लिए प्रशासन ऐसा रवैया अपना रहा है।
देशबंधु पांडे को हुआ भारी नुकसान
भले ही रेलवे अधिकारी देशबंधु पांडे ने केबीसी में ₹3,20,000 जीते लेकिन इस रकम का बड़ा हिस्सा टैक्स के तौर पर कट जाएगा। साथ ही रेलवे प्रशासन द्वारा 3 साल के लिए उनके वेतन बढ़ोतरी पर रोक लगाने के कारण उन्हें लगभग डेढ़ लाख रुपए का नुकसान होगा। ऐसे में काम से छुट्टी कर केबीसी में जाना उनके लिए महंगा साबित हो गया।
केबीसी से नहीं है कोई लेना देना?
इस विषय पर जब प्रशासन से सवाल किया गया तो कोटा रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक अजय कुमार पाल ने कहा कि देशबंधु पांडे को सौपे गए चार्जशीट का केबीसी से कोई लेना देना नहीं है। उनके अनुसार देशबंधु को जो काम सौंपा गया था वह उन्होंने समय पर पूरा नहीं किया और बिना छुट्टी के ही काम से गायब हो गए। उन्हें अपने काम के प्रति लापरवाह पाया गया इसलिए उनके खिलाफ यह एक्शन लिया गया है।