डेस्क: कुछ ही दिनों बाद पश्चिम बंगाल में उपचुनाव होने वाले हैं। इससे पहले भाजपा को राज्य में कई झटकों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में टीएमसी नेता मुकुल रॉय की तरफ से यह दावा किया जा रहा था कि भाजपा के कई नेता उनके संपर्क में हैं। उनका दावा था कि दो दर्जन से अधिक विधायक व नेता टीएमसी में आने को इच्छुक हैं।
मुकुल रॉय के बाद आज बाबुल सुप्रियो ने भाजपा से अपना नाता तोड़ कर टीएमसी में योगदान दिया। इससे पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई को तगड़ा झटका लगा है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार के बाद बाबुल सुप्रियो को कोई भी मंत्रालय नहीं सौंपा गया था। जिससे दुखी होकर उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की बात कही थी।
सन्यास लेना गलत फैसला था: बाबुल सुप्रियो
18 सितंबर शनिवार के दिन उन्होंने टीएमसी का दामन थाम कर भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। टीएमसी से जुड़ने के बाद बाबुल सुप्रियो ने कहा कि राजनीति से सन्यास लेना उनका एक गलत फैसला था। उनके अनुसार उनके दोस्तों और परिवार वालों ने उन्हें इस बात का एहसास दिलाया क्या आवेग में आकर राजनीति छोड़ना सही नहीं है। अतः उन्होंने टीएमसी में योगदान देने का फैसला लिया।
I meant it from my heart when I said I'll leave politics. However, I felt there was a huge opportunity that was entrusted upon me (on joining TMC). All my friends said my decision to leave politics was wrong and emotional: Former BJP leader Babul Supriyo after joining TMC today pic.twitter.com/y3OyymSc6a
— ANI (@ANI) September 18, 2021
टीएमसी छोड़कर भाजपा में जुड़ने की उठी थी लहर
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले एक ऐसा समय आया जब टीएमसी के कई बड़े नेता भाजपा में शामिल होने लगे थे। हालांकि इसकी शुरुआत 2017 में मुकुल राय के भाजपा में शामिल होने से ही हो गई थी। इसके बाद अनुपम हाजरा, सौमित्र खान और अर्जुन सिंह ने भी टीएमसी का साथ छोड़कर भाजपा में जुड़ने का मन बनाया। विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी के एकदम करीबी नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी टीएमसी का साथ छोड़ दिया।
विधानसभा चुनाव के बाद लौट रहे हैं वापस
इनके अलावा भी कई नेता ऐसे थे जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामा। लेकिन चुनाव में भाजपा की हार के बाद वह फिर से एमसी में वापस लौटने के प्रयास में जुट गए। इनमें सबसे बड़ा नाम मुकुल राय का है। अब उनके पीछे पीछे कई भाजपा नेता भी भाजपा को छोड़ टीएमसी में शामिल हो रहे हैं। मुकुल राय के कहे कथन अनुसार यदि सच में दो दर्जन विधायक व नेता भाजपा को छोड़ टीएमसी में चले जाते हैं तो राज्य में भाजपा का अस्तित्व खोखला पड़ जाएगा।
ममता बनर्जी का अगला टारगेट 2024
बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी का लक्ष्य अब राज्य की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बनना है। 2024 के लोकसभा चुनाव में वह संयुक्त विपक्ष की पीएम प्रत्याशी बनने की राह पर भी सबसे आगे हैं। अब तक प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एकमात्र ममता बनर्जी को ही बड़े चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है। 2024 की तैयारी में वह अभी से ही लग चुकी है।