डेस्क: ओलंपिक गेम्स में भाला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं। आज भारत में किसी भी हीरो से अधिक फैन नीरज चोपड़ा के हैं। लेकिन क्या यह शोहरत आगे भी बनी रहेगी या फिर अन्य खिलाड़ियों की तरह नीरज भी लोगों के जहन से उतर जाएंगे और एक समय आएगा जब वह 1984 में दक्षिण एशियाई खेलों में भाला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतनेवाले सरनाम सिंह की तरह गुमनाम हो जाएंगे?
हमारे देश में बॉलीवुड के सितारे या फिर क्रिकेट के खिलाड़ी को लोग लंबे अरसे तक हीरो के रूप में याद रखते हैं, लेकिन अन्य खेलों के खिलाड़ियों को उसकी जीत पर कुछ लोग जानते हैं और फिर उस नाम को भुला देते हैं। कहीं नीरज चोपड़ा के साथ भी तो ऐसा नहीं होगा। यह संदेह इतिहास में भुला दिए गए ऐसे खिलाड़ियों को याद करके और आज उनकी गुमनामी की जिंदगी को देख कर पैदा होता है।
कौन हैं सरनाम सिंह
सरनाम सिंह ने 1984 में नेपाल में हुए दक्षिण एशियाई खेलों में भाला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता था। सरनाम सिंह भी सेना में थे। वह सेना की राजपूत रेजीमेंट में थे। सरनाम को एक सिपाही ने एथलीट बनने की सलाह दी थी, जिसके बाद उन्होंने भाला फेंकना शुरू किया। इन दिनों सरनाम सिंह बहुत ही नेक काम कर रहे हैं।
वह गांव के बच्चों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। साथ ही उन्हें ट्रेनिंग देकर उन्हें निखारने की कोशिश में लगे हुए हैं। वह ऐसे बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, जो ट्रेनिंग लेने के लिए सेंटरों में जाने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें निशुल्क ट्रेनिंग देकर सतनाम सिंह देश के लिए प्रतियोगिता जीतने वाले खिलाड़ी तैयार करने में जुटे हुए हैं।
गौरतलब है कि सतनाम सिंह 1985 में राष्ट्रीय स्तर पर एक रिकॉर्ड बनाया था। उस समय वहां मौजूद एक अधिकारी ने उन्हें ₹1000 का इनाम दिया था। आज सतनाम सिंह 25 से अधिक बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार की ओर से उन्हें सहायता मिले तो वह और भी अधिक लोगों को ट्रेनिंग मुहैया करा सकते हैं।