डेस्क: पिछले कुछ समय से पूरे दुनिया में महामारी का दौर चल रहा है इस दौरान पूरी दुनिया सहित भारत में भी कई बच्चों ने अपने माता अथवा पिता को खो दिया। कई बच्चों ने तो अपने दोनों अभिभावकों को खो दिया ऐसे में अनाथ हुए बच्चों की पढ़ाई किसी भी प्रकार से बाधित ना हो जाए इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को कई निर्देश दिए हैं कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे किसी भी छात्र की पढ़ाई बाधित नहीं होनी चाहिए। खासकर ऐसे बच्चे जिन्होंने अपने अभिभावकों को खोया है, उनकी पढ़ाई फीस के वजह से बाधित नहीं होनी चाहिए इसे सुनिश्चित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार या तो ऐसे बच्चों की फीस माफ हो अथवा उनकी फीस का खर्च राज्य सरकार वहन करें।
पीएम केयर्स फंड से अनाथ हुए बच्चों को मिलेगा लाभ
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता में बनी पीठ ने देश के सभी जिला अधिकारियों से इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सभी अनाथ बच्चों की पीएम केयर्स स्कीम के लिए आवेदन की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो। बता दें कि आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को पीएम केयर्स फंड से लाभ मिलेगा। अभी तक 2600 से भी अधिक बच्चों का रजिस्ट्रेशन पीएम केयर्स फंड से मिलने वाले लाभ के लिए किया जा चुका है।
23 वर्ष के होने पर मिलेंगे 10 लाख रुपए
वर्तमान स्थिति में को’रोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों को पीएम केयर्स फंड से लाभ मिलेगा। इन बच्चों के 18 साल के होने तक मुफ्त में शिक्षा दिलाए जाने की बात कही गई है। 23 साल के हो जाने पर इन बच्चों को केंद्र सरकार के पीएम केयर्स स्कीम के तहत 10 लाख रुपए मिलेंगे। इसके लिए आवश्यक है कि ऐसे बच्चों का पीएम केयर्स स्कीम के लिए रजिस्ट्रेशन हो।
डेढ़ साल में एक लाख से अधिक बच्चे हुए बेसहारा
अधिकारिक सूत्रों की माने तो अप्रैल 2020 से अगस्त 2021 के बीच 1 लाख से भी अधिक बच्चे बेसहारा हो गए। इनमें से कुछ को’रोना की वजह से अनाथ हुए, तो कईयों के बेसहारा होने की वजह कुछ और थी। कई बच्चों को छोड़ दिया गया तो कईयों ने माता-पिता में से किसी एक को खोया है। यह स्वाही बच्चे पीएम केयर्स स्कीम के दावेदार हो सकते हैं।
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