डेस्क: पिछले कुछ समय से अफगानिस्तान के हालात बिगड़े हुए हैं। तालिबान द्वारा फैलाए जा रहे आतंक के बीच बड़ी संख्या में लोग वहां से पलायन कर रहे हैं। यहां तक कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने भी देश छोड़ दिया। इसके बाद रविवार को तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया।
तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद से ही वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लगातार वहां से भारतीयों को वापस लाने की कोशिशें की जा रही है। इसके लिए भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को वहां पहुंचा। भारतीय वायुसेना के विमान से भारतीय राजदूत सहित लगभग 120 लोगों को सकुशल भारत लाया गया।
केबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी की हुई बैठक
पाकिस्तान की बिगड़ते हालातों को देखते हुए भारत में मंगलवार 17 अगस्त को केबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक की गई। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गृह मंत्री अमित शाह भी इस बैठक में मौजूद थे।
अफगानिस्तान में भारत के राजदूत भी थे शामिल
अफगानिस्तान में हो रहे बदलाव के चर्चा के लिए आयोजित इस बैठक में सचिव हर्षवर्धन श्रींगला और अफगानिस्तान में भारत के राजदूत आर टंडन भी उपस्थित थे। इस दौरान अफगानिस्तान में फंसे सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के विषय पर भी सभी ने चर्चा की।
अफगानिस्तान पर भारत की पैनी नज़र
बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान में हो रहे सभी प्रकार के बदलाव पर भारत सरकार नजर गड़ा कर बैठी है। वहां सरकार गठन की प्रक्रिया पर भी भारत ने नजर बनाकर रखी है। इस विषय पर स्वयं प्रधानमंत्री मोदी की संलिप्तता देखी जा रही है। उन्होंने सभी अधिकारियों को यह आदेश दिए हैं कि जल्द से जल्द अफगानिस्तान में फंसे सभी भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए।
शरणार्थियों को भी देंगे मदद
केबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में उपस्थित एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पीएम केवल भारतीय नागरिकों को ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान में फंसे अल्पसंख्यकों को भी भारत लायेंगे। बता दें कि अफगानिस्तान में सिख एवं हिंदू अल्पसंख्यक के तौर पर देखे जाते हैं। पीएम मोदी ने वादा किया है कि जो भी अल्पसंख्यक भारत आना चाहते हैं उन्हें भी शरण दिया जाएगा।