डेस्क, 10 फरवरी बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में किसान आंदोलन को लेकर अपनी राय रखी. भाषण देते हुए उन्होंने विपक्ष पर खास तौर पर हमला बोला. इसी के साथ उन्होंने देशवासियों से अनुरोध किया कि वे आंदोलनकारी और आंदोलनजीवी में फर्क समझना सीखें.
उनका कहना है कि यह 21वीं सदी है. इसमें 18 वीं सदी वीं सदी की सोच नहीं चल सकती. इसीलिए आधुनिक समय में कृषि को भी आधुनिक करना जरूरी है. उन्होंने कृषि कानून को ऐच्छिक बताया. उनके अनुसार कृषि कानून बाध्यकारी नहीं है. साथ ही उन्होंने किसान आंदोलन को संबोधित करते हुए कहा कि मैं किसान भाइयों के आंदोलन को पवित्र मानता हूं. उन्होंने कहा लोकतंत्र में आंदोलन का बहुत महत्व है.
लेकिन आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपवित्र कर रहे हैं. उन्होंने आंदोलनकारियों से सवाल किया कि किसानों के आंदोलन में आतंकियों और नक्सलियों की रिहाई की मांग क्यों हो रही है? उनका कहना है कि किसानों के पवित्र आंदोलन को अपवित्र करने का काम आंदोलनजीवियों ने किया है.
उनके अनुसार किसान आंदोलन से अलग हटकर जेल में बंद आतंकियों और नक्सलियों की रिहाई की मांग करना एक तरह से किसानों के आंदोलन को अपवित्र करना है. प्रधानमंत्री का कहना है कि तोड़फोड़ करने से आंदोलन कलंकित होता है और आंदोलनकारी कभी तोड़फोड़ नहीं करते.
पंजाब में जिस प्रकार टेलीकॉम टावरों को तोड़ा जा रहा है वह किसान आंदोलन का हिस्सा नहीं हो सकता. इसी के साथ उन्होंने देश की जनता से अपील की युवा आंदोलनकारी और आंदोलनजीवियों में फर्क समझना सीखें.