डेस्क: राज्य में भड़की रामपुरहाट हिंसा की घटना की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने की मांग करते हुए मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका दायर की गई है।
बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में तृणमूल कांग्रेस के उप पंचायत प्रमुख की कथित हत्या के कुछ ही समय बाद, रामपुरहाट में हिंसा भड़क उठी, जब कई लोगों को घरों में बंद कर दिया और उनमें आग लगा दी गई, जिससे 8 लोगों की मौत हो गई।
पुलिस प्रशासन हिंसा को रोकने में विफल रहा
अधिवक्ता अनिंद्य कुमार दास द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि रामपुरहाट में एक ‘गंभीर कानून और व्यवस्था की समस्या’ पैदा कर दी गई है और पुलिस प्रशासन लगातार हो रही हिंसा को रोकने में विफल रहा है। स्थानीय निवासियों और जिले की जनता के मन में भी दहशत पैदा हो गई है।
संवैधानिक गारंटी का हुआ उल्लंघन
याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि यह सीबीआई द्वारा की जाने वाली जांच के लिए एक उपयुक्त मामला है क्योंकि राज्य सरकार अपने नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल रही है, जिससे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन हुआ है। याचिका में हिंसा के पीड़ितों के परिवार वालों को पर्याप्त मुआवजा दिए जाने की भी मांग की गई है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजरशी भारद्वाज की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया था, जिसके बाद अदालत जल्द ही इस मामले पर फैसला सुनाने के लिए सहमत हो गई और उक्त मामले की जांच को सीबीआई को सौंप दिया।