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अलीनगर विधानसभा बाहरी बनाम स्थानीय के पेंच में फंसा, कैसे बना हॉट सीट?

एकलव्य प्रकाश

एकलव्य प्रकाश: बिहार के दरभंगा जिला अंतर्गत अलीनगर हॉट सीट कैसे बन गई, मैथिली ठाकुर का विरोध क्यों हो रहा है?, क्या बीजेपी इस सीट को बचा पाएगी?, ये सारे सवाल इस समय बिहार विधानसभा चुनाव के बीच उठ रहे हैं और हों भी क्यों न?

पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से अलीनगर में एनडीए गठबंधन में तनातनी चल रही है, उससे यह प्रश्न उठना तो लाज़मी है, एनडीए की ओर से अलीनगर में आयोजित एक सभा में शीर्ष नेतृत्व के सामने ही मंच पर बीजेपी और जेडीयू समर्थकों के बीच वर्चस्व की लड़ाई देखने को मिला था।

जहां जदयू नेताओं ने आरोप लगाया था कि बीजेपी जिला अध्यक्ष इस मंच पर सिर्फ़ बीजेपी नेताओं को प्रमुखता दे रहे हैं, और जदयू  नेताओं को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है, असली खेल तो यहीं से शुरू हुआ था।

इस घटना के बाद दोनों पार्टी नेतृत्व के पास एक संदेश गया कि अलीनगर में गठबंधन में ताल-मेल ठीक नहीं है, क्योंकि यहां अप्रतक्ष्य रूप से राजकुमार झा और संजय सिंह में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है, दोनों पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं, और इस बार टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।

क्योंकि पहले ये सीट वीआईपी के पास था, और यहां से मिश्रीलाल यादव विधायक थे, फिर मिश्रीलाल यादव भाजपा में शामिल हो गए, और फिर बागी होकर अभी वो राजद में शामिल हो गए हैं, एक तरफ जहां राजकुमार झा संजय झा के क़रीबी माने जाते हैं, वही दूसरे तरफ संजय सिंह उर्फ पप्पू सिंह भी सांसद गोपाल जी ठाकुर के करीबी माने जाते हैं।

ब्राह्मण वोट तय करेगा जीत और हार

अगर अलीनगर विधान सभा की पिछले चुनाव की बात करें तो राजद से विनोद मिश्रा दूसरे स्थान पर रहे थे जो मात्रा 3370 वोट से एनडीए समर्थित मिश्रीलाल यादव से हार गए थे, ब्राह्मणों को लुभाने के लिए राजद ने विनोद मिश्रा को टिकट दिया था और इससे फायदा भी हुआ, इससे इन्हे यादव, मुस्लिम और जाति के नाम पर ब्राह्मण का भी वोट मिला था, इस विधानसभा में यादव, मुस्लिम और ब्राह्मण वोटरों की जनसंख्या अधिक है, जीत-हार यही लोग तय करते हैं।

बाहरी बनाम स्थानीय के पेंच में फंसा अलीनगर विधानसभा

लेकिन इस बार अलीनगर बिहार चुनाव में सब से हॉट सीट मानी जा रही है, यहाँ से लोकगायिका मैथिली ठाकुर को बीजेपी मैदान में उतारा है, जिस पर सोशल साइट पर बहस छिड़ी हुई है, क्यूंकि मैथिली ठाकुर की पैतृक घर मधुबनी में है।

स्थानीय लोग इसे बाहरी कैंडिडेट कहकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं, इससे पहले भी मिश्रीलाल यादव बाहरी थे, उनका भी पैतृक घर केवटी में हैं, इसके चलते बीजेपी में भी आपसी मतभेद देखने को मिल रही है।

बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ता नहीं चाहते थे की यहाँ फिर से कोई बाहरी कैंडिडेट पार्टी के तरफ से खड़ा हो, यहाँ पर टिकट बंटवारे से पहले यह कयास लगाया जा रहा था की संजय सिंह उर्फ़ पप्पू सिंह एनडीए के उम्मीदवार होंगे।

एनडीए की आपसी कलह पार्टी के लिए गले की घेघ

सूत्र बताते हैं की एनडीए में आपसी कलह के चलते इन्हे टिकट नहीं मिला, जिससे वे (संजय सिंह) क्षुब्ध होकर निर्दलीय से चुनाव लड़ने का मन बना लिया था, लेकिन आनन-फानन में एनडीए के आलाकमान ने इन्हे पटना तलब कर इन्हे मनाने में कामयाब रहे, और वे चुनाव न लड़ने का फैसला किया।

लेकिन संजय सिंह को टिकट नहीं मिलने पर स्थानीय बीजेपी कार्यकर्त्ता दो भागो में बंट गए कुछ तो मैथिली ठाकुर का विरोध कर रहे थे तो कुछ लोग संजय सिंह के पक्ष में खड़े हो गए, लेकिन संजय सिंह को फैसला बदलते ही कार्यकर्त्ता असमंजस में फंस गए और वो इस चुनाव में अपने को अलग कर अपने क्षेत्र से बाहर के एनडीए समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में घूमते नज़र आ रहे हैं, जबकि संजय सिंह मैथिली ठाकुर के साथ कदम में कदम मिलकर प्रचार-प्रसार में व्यस्त हैं।

दूसरी तरफ राजकुमार झा को मनाने के लिए उन्हें जदयू जिला कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया, इससे यह साबित हो रहा है, की मैथिली ठाकुर के लिए यहाँ से चुनाव जितना उतना आसान नहीं होगा।

महिलाओ की पहली पसंद मैथिली ठाकुर

वैसे सोशल साइट को छोड़ कर अलीनगर की जनता खासकर महिलाएं मैथिली ठाकुर को ही पहली पसंद मान रही है, वैसे इस बार तीनों पार्टी ब्राह्मण उम्मीदवार पर भरोसा जताते हुए, एनडीए से मैथिली ठाकुर, राजद से विनोद मिश्रा और जनसुराज से विप्लब चौधरी को मैदान में उतारा है।

अगर देखा जाए तो इस बार सीधी टक्कर मैथिली ठाकुर और विनोद मिश्रा के बीच है, जबकि पिछले चुनाव में विनोद मिश्रा सिर्फ 3370 वोट हारे थे, इसलिए यह सीट हॉट सीट में तब्दील हो चुकी है, देखना दिलचस्प होगा की आने वाले चुनाव में बाहरी बनाम स्थानीय का क्या महत्व रखता है, मैथिली ठाकुर भी अपनी टीम जो की उनके साथ दिल्ली से आयी है और साथ में जो महिलाए है वो मधुबनी से आयी है।

वो लोग इस रणनीति को किस करवट बदलती है. वैसे मैथिली ठाकुर इमोशनल शब्दों को उपयोग कर, अपने को अलीनगर की “भगिनी” कह कर चुनाव जिताने की बात कहती है।

विदित हो की मैथिली ठाकुर का ननिहाल अलीनगर क्षेत्र में ही पड़ता है, वैसे मैथिली ठाकुर के लिए हर रोज़ कुछ-न-कुछ नयी समस्या उत्पन्न हो रही है, इस बार पाग का अपमान को लेकर घिर गयी है, लेकिन राजनीती में ये सब नयी नहीं है, आने वाला समय तय करेगा की अलीनगर में किसकी जीत होगी।

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