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डेस्क: महामारी के ऐसे दौर में जहां हर तरफ करो ना के नए वेरिएंट मिल रहे हैं, थोड़ी सी तबीयत खराब होने पर भी लोग भय से अस्त व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में यदि किसी को बुखार या सांस की दिक्कत हो तो लोगों में कोरोना का भय फैलना निश्चित है।
पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें एक मरीज के कोरोना संक्रमित होने की आशंका थी। लेकिन जब जांच की गई तो बीमारी की वजह कुछ और ही निकली।
तेज बुखार, सांस में तकलीफ समेत हो रही थी कई समस्याएं
दरअसल मरीज को तेज बुखार और पेट दर्द के साथ साथ सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। जब तकलीफ सहनशीलता से ज्यादा बढ़ गई तो पटना के एक निजी अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया जहां 15 लाख रुपए खर्च हो जाने के बावजूद बीमारी का पता नहीं चल पाया।
IGIMS की इमरजेंसी में की गई भर्ती
डॉक्टरों से बातचीत के बाद पता चला कि मरीज को IGIMS की इमरजेंसी में भर्ती करने के बाद भी सांस लेने में तकलीफ हो रही थी जिस कारण उसे आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया। क्योंकि मरीज के कोरोनावायरस होने की आशंका थी, उसकी कोविड-19 भी हर तरह की जांच की गई।
नहीं था कोरोना संक्रमण, सिटी स्कैन से पता पता चली बीमारी
जब मरीज के पेट का सीटी स्कैन किया गया तो उसके बीमारी की असली वजह सामने आई। दरअसल मरीज के लीवर में काफी मात्रा में मवाद भर गया था जिसकी वजह से वह फटकर दाहिने साइड छाती में फैल रहा था। इसी वजह से उसे बुखार और पेट दर्द के साथ-साथ सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी।
थोराकोस्कोपिक से किया गया मरीज का इलाज
जब डॉक्टर को पता चला कि मरीज की यह हालत लीवर में मवाद भरने से हुई है तो उन्होंने उसका ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। ऑपरेशन थोराकोस्कोपिक दूरबीन विधि से की गई। ऑपरेशन के बाद मरीज अब स्वस्थ है एवं उसे डिस्चार्ज करने की तैयारी भी चल रही है।