डेस्क: बिहार की राजनीति में बुधवार को ऐसा उलटफेर हुआ जिसकी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के सुप्रीमो मुकेश सहनी ने कभी नहीं सोचा था। पार्टी के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं। 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन चार सीटों पर उसे सफलता मिली थी। एक विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद विधानसभा में पार्टी के तीन विधायक बचे थे। ये तीनों- राजू सिंह, मिश्रीलाल यादव और स्वर्णा सिंह अब भाजपाई हो गए हैं।
सहनी खुद विधान परिषद के सदस्य बने और नीतीश की अगुवाई सरकार में उन्हें पशुपालन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। मगर उनकी अति महत्वाकांक्षा और लालू परिवार के प्रति प्रेम ने ही उनकी नाव डुबो दी है। उनके मंत्री पद पर भी अब खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। इसके अलावा जुलाई में उन्हें विधान परिषद सदस्य के पद से भी हाथ धोना पड़ सकता है। बता दें कि वीआईपी के जो विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं वो सभी बीजेपी बैकग्राउंड के थे और उन्होंने 2020 का विधानसभा चुनाव वीआईपी के सिंबल पर लड़ा और जीता था।
यूपी में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा
मुकेश सहनी जो खुद को सन ऑफ मल्लाह भी कहते हैं, उन्होंने तीन साल पहले वीआईपी पार्टी की स्थापना की थी। उन्होंने पहली बार बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा और उनके चार विधायकों को जीत मिली। इसके बाद उन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने और पार्टी का विस्तार करने की मंशा से 53 सीटों पर चुनाव लड़ा। चुनाव में पार्टी के खाते में तो एक भी सीट नहीं आई लेकिन सहनी को बेवजह बीजेपी से पंगा लेना महंगा पड़ गया। चुनाव के दौरान उन्होंने अखबार में बकायदा विज्ञापन देकर वोटर्स से बीजेपी को वोट ना देने की अपील की थी। बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने की वजह से उनके खिलाफ माहौल बनना शुरू हो गया था। बीजेपी के अंदर से उन्हें मंत्री पद से हटाने की मांग उठनी शुरू हो गईं। कई नेताओं का कहना था कि उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया। इसपर सहनी ने कहा था कि हर पार्टी को अपना विस्तार करने का हक है।
विधान परिषद चुनाव में उतारे उम्मीदवार
सहनी ने यूपी में मिली करारी हार के बावजूद कोई सबक नहीं लिया और बीजेपी को फिर तेवर दिखाए। उन्होंने बिहार विधान परिषद के लिए होने वाले चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सात उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। वहीं जदयू को अपना समर्थन देने की बात कही है। दरअसल, सहनी एमएलसी की कुछ सीटें मांग रहे थे लेकिन बीजेपी ने उनकी मांग अनुसनी कर दी। बीजेपी और जदयू ने 12-12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं बीजेपी ने अपने कोटे की एक सीट रालोसपा को दी है। इस बात से नाराज सहनी ने पार्टी के खिलाफ सात उम्मीदवार उतार दिए।
लालू परिवार के प्रति झुकाव
मुकेश सहनी पहले महागठबंधन का हिस्सा थे लेकिन सीट बंटवारे पर जब बात नहीं बनी तो वे बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने एनडीए गठबंधन के साथ मिलकर 11 सीटों पर चुनाव लड़ा। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर पीठ में छूरा भोंकने का आरोप लगाया था। चुनाव जीतने और मंत्री बनने के बाद उन्होंने कई बार लालू परिवार के प्रति अपना झुकाव दिखाया। सहनी ने कहा था कि वो लालू को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं। उन्हीं की वजह से वो राजनीति में आए। इसके अलावा हाल ही में उन्होंने तेजस्वी को साथ मिलकर सरकार बनाने का न्योता दिया था। हालांकि उन्होंने खुद को ढाई साल सीएम बनाने की शर्त भी रखी थी। एनडीए में रहकर राजद को इस तरह का ऑफर देना भी बीजेपी को खटक गया।